छुट्टा पशुओं से गांव के किसान परेशान सैकड़ों एकड़ फसल हो रही हैं तबाह

छुट्टा पशुओं से गांव के किसान परेशान सैकड़ों एकड़ फसल हो रही हैं तबाह

गोरखपुर। जंगल कौड़िया क्षेत्र के कुसहरा गांव सहित आसपास के लगभग दो दर्जन गांवों के किसान इन दिनों छुट्टा पशुओं के आतंक से बुरी तरह परेशान हैं। सैकड़ों की संख्या में घूम रहे छुट्टा पशुओं के झुंड खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को रौंद रहे हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। गेहूं, जौ, सरसों, आलू, मटर, दलहन और तिलहन जैसी रबी की प्रमुख फसलें पशुओं के कारण नष्ट हो रही हैं। हालात यह हैं कि किसान दिन-रात खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं, फिर भी फसलों को पूरी तरह बचा पाना संभव नहीं हो पा रहा है।

राप्ती और रोहिन नदियों के बीच तलहटी क्षेत्र में बसे इन गांवों में छुट्टा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। किसान बताते हैं कि बड़े-बड़े झुंड बनाकर पशु खेतों में घुसते हैं और कुछ ही घंटों में पूरी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। कुसहरा, आसपास के गांवों में सैकड़ों एकड़ में खड़ी फसलें अब तक बर्बाद हो चुकी हैं। इससे न केवल किसानों की आय प्रभावित हुई है, बल्कि आने वाले समय को लेकर उनकी चिंता भी बढ़ गई है।

स्थानीय किसानों राम सिंह, विजय सिंह, शंभू गौड़, राकेश गुप्ता, संदलू कनौजिया और रामवृक्ष सदई निषाद ने बताया कि वे कर्ज लेकर रबी की फसल की बुवाई करते हैं। बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी पर भारी खर्च आता है। उम्मीद होती है कि अच्छी पैदावार से कर्ज चुकाकर घर-परिवार की जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही छुट्टा पशु उसे बर्बाद कर देते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है।

किसानों का कहना है कि रात के समय समस्या और गंभीर हो जाती है। ठंड के बावजूद वे खेतों में अलाव जलाकर, टॉर्च और डंडे लेकर फसलों की रखवाली करते हैं। कई बार पूरी रात जागने के बाद भी पशुओं के झुंड खेतों में घुस जाते हैं। कुछ किसान तो अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को भी निगरानी में लगा रहे हैं, जिससे पढ़ाई-लिखाई और घरेलू जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र का दायरा बड़ा होने के कारण व्यक्तिगत स्तर पर फसलों की सुरक्षा करना बेहद कठिन है। एक खेत से पशु भगाने पर वे दूसरे खेत में घुस जाते हैं। सामूहिक प्रयास के बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। किसानों में यह भय व्याप्त है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में खेती करना घाटे का सौदा बन जाएगा।

किसानों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि छुट्टा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। गौशालाओं की संख्या बढ़ाई जाए, पहले से संचालित गौशालाओं की क्षमता और व्यवस्था में सुधार हो तथा पशुओं को पकड़कर वहां भेजने की नियमित कार्रवाई की जाए। साथ ही, फसल क्षति का आकलन कर किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था भी की जाए, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।

कुल मिलाकर, जंगल कौड़िया क्षेत्र के कुसहरा गांव और आसपास के इलाकों में छुट्टा पशुओं का बढ़ता उत्पात किसानों के लिए गंभीर संकट बन गया है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो किसानों की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा और खेती से उनका भरोसा डगमगा सकता है।